G-GE9JD7T865 अघोषित विवाह

अघोषित विवाह


 बहुत से लोग 

बिना किसी गावह 

कागज पे किये दस्तखत 

पंडित , मौलवी या पादरी के

कर चुके होते हैं शादियां,

उन शादियों को नहीं जरूरत होती

किसी टेंट शोर शराबे

न ही धूम धाम के संगीत

गाजे बाजे

न ही 56 किस्म के

पकवान - पकौड़े,,,

उनके एहसास ही उनके गवाह

उनके शब्द ही उनके 7 वचन हो जाते हैं

वो ढोल नहीं पीटते 

किसी से कह नहीं पाते

लेकिन उस शादी को जीवन का

सच मान लेते हैं,,,,

नहीं मिलता इस शादी से उन्हें ढेरों 

नए रिश्ते

सिवाय एक गुमनाम जीवनसाथी के

गुमनाम यूं कि उसे 4 लोगो के बीच 

नाम से बुलाया नही जा सकता

साथी इसलिए की उसका नाम

मन में बार बार हर एक सांस के साथ

जीवनभर दोहराया जा सकता है।

ऐसी शादियों की पवित्रता

उन तमाम शादीयों की पवित्रता से ज्यादा  है

क्योंकि बाकी की शादीयों में पहले 

होती है शादी ,फिर एक होते हैं जिस्म

फिर कहीं आत्मा का मिलन होता है

लेकिन ऐसी गुमनाम शादियों में

आत्मा शादी से बहुत पहले 

मिल चुकी होती है,

ऐसी एक शादी मैंने भी की है,,,,



_कशिश बागी


0 Comments