बिना युद्ध के नई दुनिया
बिना युद्ध के नई दुनिया
मैं ये सपना नहीं देखता कि
कबूतर ऊंचे मकानों-टावरों से
जंगल को कब लौटेंगे....
ये सपना देखता हूँ कि
कयामत के बाद जब
दुनिया फिर से बसे
तो बसाने वाले को इन खंडहरों से
सम्राज्य और धर्म के नाम हुए
युध्दों का लेखा मिले....
ताकि वो अपनी नई पीढ़ी को
यह बता सके
युद्ध कितना भयावह होता है
घाव और बुरी यादों के कुछ भी नहीं छोड़ता
_ कशिश बागी
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