हम अचानक देशद्रोही हो गए
हम अचानक देशद्रोही हो गए
हमने पहले आजादी के लिए तलवार उठाये
गांधी आये तो उनके पीछे चले
जरूरत पड़ी फांसी के फंदे पर भी झूले
आजादी के जश्न में बंटवारे का जहर भी पिया
फिर वो बोले देश भूखा है अनाज उगाओ
हमने अपनी हड्डियों को खेतों में जोता
और बोरे भर भर कर अनाज उगाए
हमने आधी रोटी और आधी मजूरीके बदले
यहां के कारखानों को आबाद किया
फिर वो बोले सरहद पर दुश्मन आ बैठा है
हमने अपनी जान की बाजी लगा दी
देश बड़ा होता गया
हमने बदले में कुछ नहीं मांगा
बस लोकतांत्रिक तरीके से एक बार
हुकूमत से देश का हाल चाल पूछा
और हम अचानक देशद्रोही हो गए।
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