मैं बेचैन क्यों रहता हूँ
मैं बेचैन क्यों रहता हूँ
मैं किसी जंग का सिपाही नहीं हूँ,
फिर भी मेरी ख्वाहिश है कि,
मुझे उस जंग का सिपाही
बनने दिया जाए
जो आखरी और
निर्णायक हो
जिसके बाद सारे बारूद जलाकर
भूख मिटाने की रोटियां सेकी जाए
सारे बन्दूक और गोलियां पिघलाकर
नए सृजन का औजार बनाया जाए
मेरी ख्वाहिश है कि
जंग की तबाही के बाद
फिर से संभलती जिंदगी
जब मुस्कराए
किसी कोने में पड़ा
मेरे छलनी शरीर की बेजान सी आंखे
नए सृजन की इस उमंग को देखे
ताकि मैं राहत की पहली
और अंतिम सांस ले सकूं।
लेकिन मुझे डर है कि
फिर से कोई औजार हथियार बन बैठेगा
फिर से दुनिया एक और जंग के मुहाने पर
आ खड़ी होगी
मानव सभ्यताओं के अपने विनाश से
सबक न लेने के इसी रवैये से
मैं हमेशा बेचैन रहता हूँ।
By - Kashish Bagi
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