मैं अपनी आदत बदल लूँगा
मैं अपनी आदत बदल लूँगा
अक्सर मेरी लापरवाही से
जब मेरा चश्मा टूट जाता था
तो मैं ले कर कोई सस्ती सी गोंद
झट से जोड़ देता था।
पर इस बार तुम टूटे हुए थे-
तुम्हारे टूटे पुर्जों को मैंने जोड़ने की कोशिश की थी
पर तुम और बिखर रहे थे।
ऐसे
मैं भूल गया,
टूटा चश्मा जुड़ कर भी चार दिन ही चलता था
फिर नया लेना ही पड़ता था।
और
तुम टूटे फूटे भी अच्छे थे,
अनोखे थे
पर जुड़े हुए तुम- फिर तुम नहीं रहते।
इसलिए पुर्जों को जोड़ने का खेल यहीं छोड़ रहा हूँ।
जैसे भी हो तुम टूटे-फूटे
बस पहले की तरह अच्छे लगो।
मैं अब अपने टूटे चश्मों को जोड़ना भी
बन्द कर दूंगा।
मैं अब लोगों को बदलने की अपनी आदत
बदल लूँगा।।
#kitabganj
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