G-GE9JD7T865 पगड़ी सँभाल जट्टा-पीयूष मिश्रा

पगड़ी सँभाल जट्टा-पीयूष मिश्रा


पगड़ी सँभाल जट्टा उड़ी चली जाए रे
पगड़ी की गाँठ पे कोई हाथ ना लगाए रे

मोड़ दे हवा के रुख़ को जो वो आड़े आए रे
रोक दे उमड़ती रुत को आँख जो दिखाए रे
सरकटी उम्मीदों के पल याद में सजाए रे
ख़ून से सनी मिट्टी को भूल तो ना जाए रे
देख देती है वो क़समें अब मचा दे हाय रे
फिर भले ही सारी पगड़ी ख़ून में नहाए रे

पगड़ी सँभाल जट्टा... 

By - Piyush Mishra

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